चुनाव सुधार शेषन की देन

जअगरदेश में निष्पक्ष औरस्वतंल माहौल में चनाव हो पाता है तो इसका श्रेय टीएन शेषन को जाता है। उनका रविवार 10 नवंबर, 2019 को निधन हो गया। देश के दबंग चुनाव आयुक्तके तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले टीएन शेषन नौकरशाही में भी सुधार के जनक थे। ईमानदारी औरकानून के प्रति अपनी निष्ठा कीवजहसेवहबहतोंकोखटकते भी थे। इस वजहसे उनके विरोधी उनको सनकी और तानाशाहतक भी कहते थे। लेकिन वह व्यवस्था में क्रांति लाने वाले इंसान, मेहनती, सक्षम प्रशासक, योग्य नौकरशाह, बुद्धिजीवियों और मध्य वर्ग के नायक के।सेशन की पहली तैनाती तमिलनाडु के मदुरई जिले के डिबीगुल में सब कलेक्टर के तौरपरहुई। वयं उन्होंने सबकलेक्टरके अधिकारक्षेलसेवाहरके प्रभारों को भी संभाला। अपनी पोस्टिंग के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने मजबूत प्रशासक की अपनी छविबनाई। 1962 में उनका अपने एकसीनियरसेझगड़ा हो गया जिसवजह से उनका सचिवालय से ट्रांसफर कर दिया गया। वर्ष से उनको छोटी बचत कार्यक्रम, पिछड़ा वर्ग कल्याण और महिला कल्याण के विभाग में भेज दिया गया। अंत में उनको शहर का परिवहन निदेशक बना दिया गया। उनकी ईमानदारी औरकर्तव्यनिष्य की बातें प्रदेशके तत्कालीन उयोग और परिवहन मंती रामास्वामी वेंकटरमन तक पहुंची। वेंकटरमन ने उनसे भीड़भाड़ वाले शहरकीसार्वजनिकबसव्यवस्थाको संभालनेकोकहाशेषन इसघटनाको अपने लिए काफी फायदेमंदबताते हैं। उनका कहना था कि वहां उनको तरहतरह के लोगों को संभालने का मौका मिला जो उनके भविष्य के करियर में काफी काम आया। शेषन का तमिलनाइके मुखमली से काफी झगडा हो गया जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। वहां से वे दिल्ली आ गए और तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग के एक सदस्य के तौर पर उनकी नियुक्तिहुई। अगले दो सालों तक इस पद पररहे। इसके बाद उनको अंतरिखमलालयका अतिरिक्तसचिव नियुक्तकिया गया और इस विभाग में 1980 से 1985 तक रहे। फिरतत्कालीन प्रधानमंली राजीव गांधी के आग्रहपरपर्यावरण एवं वन मंलालयके सचिव बन गए। इसपद पर कह 1985 से 1988 तक रहे। इस दौरान राजीव गांधी से उनकी नजदीकी बढ़ी। वहां से उनको आंतरिक सुरक्षा का सचिव बनाया गया जिस पद पर 1989 तकरहे। राजीव गांधी से उनकी नजदीकी इस बात से पताचलती है कि रखा मंलालय में सचिव के तौर पर नियुक्तिके 10 महीनों बाद उनको कैबिनेट सचिव बनाया गया। जब राजीव गांधी दिसंबर 1989 में चुनाव हार गए और प्रधानमंली नहीं रहे तो टीएन शेषन का ट्रांसफरवोजना आयोगकरदिया गया। प्रधानमंली चंद्रशेखरकी सरकार में सुब्रमण्यन स्वामी कानून मंली थे जो उनके दोस्त थे। सुब्रमण्यन स्वामी ने शेषन को मुख्य चुनाव आयुक्तका पद ऑफर किया। उन्होंने शुरूमें तो इस ऑफर को ठुकराना चाह्य लेकिन उन्होंने पहले राजीव गांधी से मशविरा किया, फिर तत्कालीन राष्ट्रपति आर.वेंकटरमन से सलाहली। उसके बाद उन्होंने ऑफरस्वीकारकरलिया और दिसंबर 1990 में देश के मुख्य चुनाव आयुक्तकाप्रभारसंभाल लिया। इसके बाद उन्होंने देश की चुनाव व्यवस्था में जो सुधार किया, उससे उनका नाम इतिहास में अमर हो गया। शेषननेचुनाव प्रक्रिया में कानूनकासख्ती से पालन किया औरकण्या, आचार संहिता को सख्ती से लागूकरावा, सभी मतदाताओंके लिए फोटो लगा पहचान पत शुरुकराया, उम्मीदवारों के खचों पर अंकुश लगाया, चुनाव में पर्यवेक्षक तैनात करने की प्रक्रियाको सख्ती से लागू किया। -सिद्धार्थशंकर


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